पाकिस्तान की सियासत में महिलाएं (अमर उजाला)

Shared by user Sachin Shukla

पाकिस्तान की आजादी के सत्तर साल पूरे हो गए हैं, ऐसे में यहां की महिलाओं, खासकर राजनीति में महिलाओं की स्थिति पर विचार करना प्रासंगिक जान पड़ता है। पाक राजनीति में महिलाओं के आने की शुरुआत जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना से मानी जाती है, जो एक चिरपरिचित एवं स्वीकार्य चेहरा थीं। वैसे इस महीने एक अन्य महिला राजनीतिज्ञ सुर्खियों में थी, पर बिल्कुल अलग वजहों से। मुल्क के लोगों को भयावह चीजें पता चलीं, जब पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ (पीटीआई) की सदस्य आयशा गुलालाई ने पार्टी अध्यक्ष इमरान खान और उनके करीबी सहयोगी के खिलाफ आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि इमरान खान उन्हें गंदे संदेश भेजते थे और शादी के बारे में बातें करते थे। उन्होंने कहा, ‘पीटीआई में महिला कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं है ।’

आयशा गुलालाई ने, जो वजीरिस्तान से ताल्लुक रखती हैं और संघ प्रशासित आदिवासी क्षेत्र से महिलाओं के लिए आरक्षित सीट से निचले सदन के लिए चुनी गई हैं, दावा किया कि पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा जिस संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा था, वह पख्तून की संस्कृति के अनुरूप नहीं था। उन्होंने आगे कहा, मैं हैरान रह गई, जब मैंने उनके (पीटीआई सदस्यों) दुराचारों को देखा। वे महिलाओं को गंदे संदेश भेजते हैं। वे सम्मानित महिलाओं का अपमान करते हैं। महिलाओं का सम्मान इमरान खान और उनके करीबी लोगों के हाथों में सुरक्षित नहीं है। जब उनसे संदेश की विषयवस्तु के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कोई भी सम्मानित व्यक्ति ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान खान महिलाओं को ब्लैकबेरी फोन रखने के लिए कहते हैं, ताकि संदेशों का पता न लगाया जा सके। आप उनके ब्लैकबेरी फोन की जांच कर उनके द्वारा भेजे गए संदेशों को देखें। पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकार इसका रिकॉर्ड जारी कर सकता है।

पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 62 एवं 63 के अनुसार, भ्रष्ट नेता अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जिसके तहत नवाज शरीफ को अयोग्य घोषित किया गया है। वह कहती हैं कि इस अनुच्छेद में नैतिक भ्रष्टाचार का भी संदर्भ है। मैं सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त करती हूं कि वह मेरे बयानों के आधार पर इमरान खान के खिलाफ अयोग्यता के मामले पर विचार करे। ऐसे व्यक्ति को अयोग्य ठहराया जाना चाहिए। क्या ऐसा व्यक्ति देश चलाने के योग्य होगा?

नए प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने जो पहला काम किया, वह यह कि उन्होंने निचले सदन में घोषणा की कि चूंकि आयशा गुलालाई सांसद हैं, इसलिए इस मामले की जांच होगी। इसलिए नेशनल एसेंबली के स्पीकर ने एक कमेटी गठित की है, जिसके सदस्य सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्य हैं और जो इमरान खान और उनके करीबी सहयोगियों द्वारा आयशा गुलालाई को भेजे गए संदेशों को देखेंगे। लेकिन हैरानी की बात है कि इमरान खान ने इस कमेटी को खारिज कर दिया है और उसके सामने पेश होने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने फोरेंसिक जांच के लिए अपना ब्लैकबेरी फोन देने से भी इन्कार कर दिया है। वह क्या छिपा रहे हैं, इसको लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। अगर वह दोषी नहीं हैं, तो खुद निर्दोष साबित करने का सबसे आसान तरीका है कि वह अपने संदेशों का रिकॉर्ड देखने दें।

जब उपाध्यक्ष ने आयशा गुलालाई को सदन में इमरान खान के व्यवहार के बारे में अपनी बात रखने का मौका दिया, तो पीटीआई के सदस्यों ने हंगामा खड़ा कर दिया और उन्हें बोलने नहीं दिया। लेकिन आयशा गुलालाई रुकी नहीं और अगले दिन प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की खबरों में वह छायी रहीं। उन्होंने कहा कि ‘इमरान खान प्रतिभाशाली लोगों से जलते हैं, वह उन्हें अपने लिए खतरा समझते हैं। इसके कारण कई लोग उनका साथ छोड़कर चले गए। वह महिलाओं के साथ दूसरा तरीका अपनाते हैं। पीटीआई के नेशनल एसेंबली के सदस्यों को, जो निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, महत्व नहीं दिया जाता है और उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है।’

उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप इमरान खान के लतीफे पर हंसते हैं, अगर आप उन्हीं के जैसे कपड़े और चप्पल पहनते हैं, अगर आप उनके पीछे-पीछे भागते हैं, तभी आपको पार्टी का टिकट मिल पाएगा। आयशा गुलालाई ने एक ऐसे राजनेता के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, जो पाकिस्तान का अगले प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखता है। एक राजनीतिक चेहरा होने के कारण, विशेष रूप से जो पनामा मामले में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रयत्नशील हो, उन्हें पाकिस्तानी जनता के सामने खुद को बेगुनाह साबित करना चाहिए और अपने राजनीतिक एवं नैतिक मानकों पर खरा उतरना चाहिए।

इस तथ्य पर विचार करना महत्वपूर्ण है कि उत्पीड़न के ज्यादातर मामलों में निजी तौर पर महिलाओं को चुप रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और यदि किसी दिन वे अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात करने का फैसला करती हैं, तो उन्हें दंडित किया जाता है। ऐसे में कोई हैरानी नहीं कि गुलालाई के आरोपों (चाहे सच हो या झूठ) पर कई लोगों ने हमला बोला है और उन्हें खारिज कर दिया है। यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं को सामाजिक प्रतिक्रिया, अपराध और सतत संत्रास से पीछा छुड़ाने में वर्षों लग जाते हैं और अंततः ऐसे दुखद अनुभवों के बावजूद उन्हें हानि ही उठानी पड़ती है।

क्या आयशा गुलालाई को पाकिस्तान में इंसाफ मिलेगा? अन्य घटनाओं के शोर में उनकी कहानी दब गई है और ऐसा नहीं लगता कि किसी भी संस्था द्वारा इमरान खान को सच्चाई बताने के लिए मजबूर किया जाएगा। मशहूर स्तंभकार अब्बास नासिर कहते हैं ‘विडंबना यह है कि पाकिस्तान की सभी राज्य संस्थानों की अहमियत समाज के एक या दूसरे तबके की नजर में घट गई है। इसका मुख्य कारण है कि उनके पास अपनी सांविधानिक भूमिका से ऊपर उठकर काम करने की क्षमता नहीं हैं।’

 

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